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लेटरल एंट्री (Lateral Entry): UPSC Back door entry

लेटरल एंट्री (Lateral Entry)

क्या लेटरल एंट्री (Lateral Entry) करके भारत सरकार आरक्षण को खत्म कर रही है :UPSC back door entry

 क्योंकि वर्तमान में भारत सरकार द्वारा 45 पदों पर लेटरल एंट्री (Lateral Entry) कराए गी और वह भी पद बड़े पद जिसमें सेक्रेटरी जॉइंट सेक्रेटरी डायरेक्टर और अंडर सेक्रेटरी लेवल के पद हैं उन पदों पर हाल ही में पार्श्व भर्ती लेटरल एंट्री (Lateral Entry) निकाली   गई है

  1. इसको लेकर के विपक्ष सवाल कर रहा है कि भारत सरकार आरक्षण खत्म कर देगी  जो हम लोगों ने चुनाव में कैंपेन चलाया था उसको करते हुए दिख भी रही है
  • हम इसको पूरा डिटेल में एनालाइज करेंगे पक्ष विपक्ष समझेंगे कि लेटरल एंट्री के फायदे क्या हैं
  • नुकसान क्या हैं 
  • क्या बेस्ट वे अहेड हो सकता है
  • क्या इसका इतिहास है 
  • क्या इसकी वर्तमान में प्रासंगिकता है 
  • किस तरह से लेटरल एंट्री को लेटरल एंट्री कहा जाता है
  • एआरसी के रिकमेंडेशंस क्या हैं 
  • सारी बातें विस्तार पूर्वक इस आर्टिकल में  है
  •  ठीक है 

तो चलिए शुरू करते हैं

 साथियों जहां तक बात होती है लेटरल एंट्री (Lateral Entry)  की तो उसको समझने से पूर्व पहले UPSC के बारे में जान लेते हैं 

  • देखिए आप में से बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो कि यूपीएससी के द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षाओं की तैयारी करते रहे हैं नहीं भी तो एटलीस्ट यह तो जानते ही हैं कि आईएएस अगर बनना होता है तो भारत के अंदर एक संघ लोक सेवा आयोग है जिसके द्वारा परीक्षा ली जाती है संघ लोक सेवा आयोग के द्वारा ली जाने वाली परीक्षा बहुत सारे लोगों के बीच में वर्तमान में चर्चा में भी रही है चाहे दिल्ली के हादसे के कारण चर्चा में रही हो या उससे जस्ट पहले यूपीएससी के अंदर फेक सर्टिफिकेट का मामला पूजा  khedkar  का रहा हो ऐसे में  UPSC  की बहुत सी जानकारियां आपको हैं लेकिन इन जानकारियों में अगर आपको यह पता चले कि आप जिस परीक्षा के माध्यम से योग्यता के आधार पर स सिलेक्शन पाते हैं प्रॉपर प्रीलिम्स मेंस और इंटरव्यू देकर के उसके स्थान पर आपको बिना परीक्षा दिए ही उसे उस पद पर बिठा दिया जाए जिस पद पर आप एग्जाम दे कर के जाते थे और तो और एग्जाम देकर जिन पदों पर पहुंचते थे उसके बाद कई साल की सर्विस करते थे फिर जिस पद पर पहुंचते थे उस पद पर भारत सरकार आपको डायरेक्ट बिठाने का काम कर रही हो इसे ही लेटरल एंट्री (Lateral Entry) कहा गया 
  • यानी पैरेलल तरीके से एंट्री करा दी एक प्रक्रिया थी कि आपने पहले प्री पास किया मेंस पास किया इंटरव्यू पास किया मेरिट में स्थान प्राप्त किया फिर आप सर्विस में गए फिर आपकी सर्विस कई सालों तक चली आप सर्विस इसके बाद जिन पदों पर पहुंचते उसके स्थान पर सरकार ने केवल उम्र को उठाया कि इतने साल का आदमी है उसके पास कुछ उन्होंने क्वालीफिकेशंस बताई पढ़ाई लिखाई बताई और उठाकर कहा कि आप सीधे यहां पर आ जाइए इस बात से आपको देखते ही सबसे पहला दुख तो इस बात का होगा कि यार जो UPSC एस्परेंस हैं जो इतनी मेहनत करके यहां तक पहुंचते हैं वो बेवकूफ हैं क्या जो सरकार उठा के डायरेक्ट बिठा दे रही है पहला सवाल
 दूसरा जब सिलेक्शन होता है तो इस प्रक्रिया के अंदर तो प्रॉपर तरीके से रिजर्वेशन का ध्यान रखा जाता है
  •  UPSC जब परीक्षा आयोजित कराती है तो उसमें तो प्रॉपर रिजर्वेशन का ख्याल रखा जाता है लेटरल एंट्री (Lateral Entry) जब हो रही है तो यहां तो कोई रिजर्वेशन का सवाल ही नहीं है ऐसे में दो बहुत बुनियादी सवाल खड़े हो गए 
  • पहला कि UPSC के जो कैंडिडेट्स हैं उनके साथ धोखा है क्योंकि वो जिस जगह जाना चाहते थे जिन पदों के लिए तैयारी कर रहे थे उन पदों को आप बाहर से लाकर भर दे रहे हो और बाहर से लाके भर रहे हो ये तो एक अपने आप में छात्रों के साथ धोखा है
  • दूसरा आप चूंकि जिन लोगों को भर रहे हो उनको रिजर्वेशन के माध्यम से नहीं भर रहे मतलब उसमें आपने SC/ST OBC या फिर EWS का कैटेगरी कोटा नहीं लगा ऐसे में तो यह आपने और बड़ी दिक्कत कर दी इसी कारण से यह सवाल बड़ा बन जाता है
  • यही कारण है कि सुर्खी बनती है और सुरखी बड़ी बात तो यह है कि राहुल गांधी जी हो अपोजिशन में जितने बड़े नेता है उनकी तो बात है ही सरकार के सहायता में सरकार के साथ सरकार में शामिल जो राम विलास पासवान जी के पुत्र
  • चिराग पासवान जी हैं उन्होंने तो यह कहा है कि इस पर अब कोई इफ एंड बट है ही नहीं हम इसमें इस पूरे की पूरे लेटरल एंट्री (Lateral Entry) के अंदर रिजर्वेशन चाहते हैं है
  •  यानी इसमें भी SC/ST को मौका मिलना चाहिए हम अपनी तरफ से सहयोगी संगठन होने के नाते यह मांग उठाते हैं अर्थात सरकार के साथ रहते हुए भी सरकार के ही संगठन इस बात की मांग उठा रहे हैं

इसलिए इस विषय वस्तु को अब आपको डिटेल से समझने की आवश्यकता है

  • आप यहां पर 17 सितंबर की डेडलाइन के साथ एक नोटिफिकेशन लगा हुआ देख लेते हैं य एक एडवर्टाइजमेंट है जो यूपीएससी के द्वारा ऑनलाइन रिक्रूटमेंट एप्लीकेशन के रूप में मांगा गया है किस चीज के लिए मांगा गया है लेटरल एंट्री (Lateral Entry) ऑफ जॉइंट सेक्रेटरी ,डायरेक्टर एंड डेप्युटी सेक्रेटरी, लेवल पोस्ट तो जॉइंट सेक्रेटरी लेवल के पद के लिए और डायरेक्टर और डेप्युटी सेक्रेटरी लेवल पद के लिए लेटरल एंट्री (Lateral Entry) के लिए आवेदन सरकार के द्वारा मांगे गए हैं 
  • अब मैं एक बार के लिए आपको समझा देता हूं कि किस प्रकार से भारत में आईएएस जब बन है तो उसका प्रमोशन चलता है एक जनरलाइज जानकारी आप जान लें जब कोई व्यक्ति UPSC  की परीक्षा पास करता है और प्रॉपर आईएएस बन पाता है देखिए यह समझिए upsc द्वारा बहुत सी परीक्षाएं आयोजित करवाई जाती है इंक्लूडिंग NDA CDS भी आयोजित करवाई जाती है  ना लेकिन हम लोग UPSC द्वारा जो CSSC की परीक्षा आयोजित करवाई जाती है सिविल सर्विसेस के लिए जो परीक्षा आयोजित करवाई जाती है मैं उसकी बात कर रहा हूं उसमें भी जो सिविल सर्विसेस की परीक्षा है उसमें जो टॉपर्स होते हैं टॉपर्स यानी कि जिन्होंने टॉप प्रायो पर आईएएस भरा होता है उसके अलावा और कौन सी सर्विसेस होती हैं उस सीएससी के माध्यम से आप एक ही परीक्षा से चाहे आप आईएएस बन सकते हैं आईपीएस बन सकते हैं आईएफएस बन सकते हैं आईआरएस बन सकते हैं पोस्टल सर्विसेस में जा सकते हैं रेलवे सर्विसेस में जा सकते हैं ऐसे तमाम प्रकार की सर्विसेस होती हैं सामान्यतया अच्छी रैंक प्राप्त किए हुए लोग टॉप सर्विसेस में जाते हैं और टॉप सर्विस की प्राथमिकता में कुछ लोग आईएएस को लेते हैं कुछ विदेश सेवा को लेते हैं और कुछ लोग पुलिस सेवा को को लेते हैं ठीक है अधिकांश मेजॉरिटी में लोग आईएएस को लेते हैं ठीक है अगर हम यह कहें कि 1000 पोस्ट निकली हैं तो 1000 पोस्ट जब सीएसई की निकलती हैं उस परीक्षा के माध्यम से तो उसमें से 150 से 200 पद ही ऐसे होते हैं जो कि केवल आईएस के लिए होते हैं बाकी फिर वह अन्य सर्विसेस के द्वारा भरे जाते हैं अगर कोई व्यक्ति आईएएस बन गया तो आईएएस बनने के बाद में उसको जो पैसे के हिसाब से स्केल मिलती है वह जूनियर टाइम स्केल मिलती है उसकी रैंक अंडर सेक्रेटरी लेवल की रैंक होती है ठीक है अंडर सेक्रेटरी रैंक की लेवल पर उसका अनुभव रो से 4 साल तक का माना जाता है मतलब यह माना जाता है कि इस पद पर बैठा हुआ व्यक्ति इस लेवल का व्यक्ति होगा अंडर सेक्रेटरी लेवल का अच्छा यह एक चीज ध्यान रखने की है अंडर सेक्रेटरी केंद्र सरकार के अंदर और यह याद रखिएगा केंद्र सरकार के जो पद होते हैं वह राज्य सरकारों के जो पद होते हैं उनसे एक पद ऊपर होते हैं इसको ऐसे समझते हैं मतलब ऐसे कहिए कि अगर राज्य सरकार के अंदर कोई व्यक्ति सेक्रेटरी के पद पर है तो जब वह केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर जाएगा तो वह जॉइंट सेक्रेटरी के लेवल पर जाएगा उसका सेक्रेटरी एक पद ऊपर का होता है यानी कि हरार की में उन्हें एक और एक्स्ट्रा मेहनत एफर्ट लगानी पड़ती है मतलब राज्य का जो राज्य का जो आईएएस ऑफिसर है वो केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर जब जाता है तो वो एक पद नीचे की नियुक्ति पर जाता है उसको फिर कुछ और अनुभव की आवश्यकता पड़ती है 
  • यानी कि मैं एक आसान रूप में ये कहूं कि राज्य सरकार का सेक्रेटरी और केंद्र सरकार का सेक्रेटरी इक्विवेलेंट नहीं होता है केंद्र सरकार का सेक्रेटरी राज्य सरकार के सेक्रेटरी से एक लेवल ऊपर का होता है वो लेवल क्या है यह रहे ठीक है लेवल समझिए तो यह जो मैं बता रहा हूं यह केंद्र के अंडर सेक्रेटरी की बात बता रहा हूं ये जब प्रमोशन होते हैं तो ये सीनियर टाइम स्केल में जाते हैं तब ये डेप्युटी सेक्रेटरी के रैंक पर जाते हैं डेप्युटी सेक्रेटरी के बाद का जो रैंक है वो है डायरेक्टर रैंक जिसमें कम से कम आवश्यकता है न से लेकर 12 साल के अनुभव की यानी कि आप आईएएस बने 9 साल आपको सर्विस में रहते हुए मिल गए तब आप डायरेक्टर लेवल पर पहुंचते हैं इससे ऊपर का जो पद है जिसको सिलेक्शन ग्रेड कहा जाता है जिसमें 12 से लेकर 16 साल तक के अनुभव की आवश्यकता होती है यह भारत सरकार में तो जॉइंट सेक्रेटरी लेवल का पद है और राज्य सरकारों में यह सेक्रेटरी लेवल का पद है यानी कि वही आईएस अधिकारी अगर राजस्थान में लगा होगा तो राजस्थान का वह सेक्रेटरी होगा लेकिन अगर वही अधिकारी केंद्र में लगा हुआ है तो वह जॉइंट सेक्रेटरी लेवल पर होगा ठीक है इनसे ऊपर का जो एक पद है जिसमें कि राज्य सरकार के अंदर तो वो व्यक्ति प्रिंसिपल सेक्रेटरी लेवल पर लगा होगा लेकिन केंद्र में वह एडिशनल सेक्रेटरी लेवल पर लगा होगा और इससे भी ऊपर एक पद है अगर केंद्र में किसी को सेक्रेटरी लगना है मतलब आप यह समझिए कि अगर केंद्र में कोई व्यक्ति सेक्रेटरी लगा हुआ है तो वो इक्विवेलेंट है राज्य के अंदर चीफ सेक्रेटरी होने के मतलब राज्य का चीफ सेक्रेटरी और केंद्र का सेक्रेटरी लगभग बराबर की पोस्ट है मतलब अगर कोई व्यक्ति केंद्र में सेक्रेटरी लगाए उदाहरण के लिए राजस्थान के अंदर वर्तमान में जो जो चीफ सेक्रेटरी लगे हैं ये यहां लगने से पहले केंद्र में स्वास्थ्य
  • विभाग के अंदर सेक्रेटरी लगे हुए थे अब आप इससे अंदाजा लगा लीजिए कि केंद्र का व्यक्ति जब राज्य में आता है तो चीफ सेक्रेटरी लेवल पर आता है ठीक है इस तरह का हायरर की में अंतर है सरकार ने जो फिलहाल भर्ती निकाली है वो किस लेवल की निकाली है जॉइंट सेक्रेटरी लेवल की निकाली है तो जॉइंट सेक्रेटरी इससे ऊपर होता है एडिशनल सेक्रेटरी और उससे ऊपर होता है सेक्रेटरी फिलहाल जो भर्ती निकाली गई है वो जॉइंट सेक्रेटरी लेवल पर निकाली गई है ठीक है और डायरेक्टर लेवल पर और डेप्युटी सेक्रेटरी लेवल पर अब आप इस वैकेंसी को फिर से देखिए ये रहा जॉइंट सेक्रेटरी ये रहा डायरेक्टर और यह रहा डेप्युटी सेक्रेटरी ये तीन पद हैं जिनके लिए फिलहाल भारत सरकार के द्वारा यूपीएससी के माध्यम से विज्ञप्ति निकाली गई है कि इन पर एंट्री करिए कितने लोगों की निकाली गई है कितनी पोस्ट रखी गई हैं तो देखिए यहां पर यहां यह जो पूरी की पूरी जगह है इसमें पद की व्याख्या की गई है कि 17 सितंबर तक आप आ सकते हैं कौन-कौन अप्लाई कर सकता है यह दिया गया है कुल संख्या इसकी रखी गई है 45 टोटल 45 पोस्ट यहां पर निकाली गई है इन तीन जगहों पर दूसरा क्या है दूसरा है यहां पर 24 विभागों के अंदर यह चीजें निकाली गई है 24 मिनिस्ट्री में यह वाली चीज निकाली गई है ठीक है साहब अच्छा अब यहां पर 24 मिनिस्ट्री में 45 पोस्ट सरकार के द्वारा निकाली गई है अब इसी के साथ सारा विवाद शुरू होता है 
  • कैसे शुरू होता है कि सरकार ने टोटल 45 व वसी निकाली एक तो आप यह सवाल बोलते और एक आप यह बोल रहे हैं कि 24 विभागों में 45 निकाली असली खेला यही हो गया 
  • कैसे हो गया अब मैं आपको वह बताता हूं इधर देखिए

आप यह संजीव सान्याल जी हैं वही संजीव सान्याल जी जिन्होंने एक बार बयान दिया था कि यूपीएससी समय की बर्बादी है

  • यह भी लेटरल एंट्री से पहुंचे हुए हैं इन्होंने ही अपने द्वारा एक ट्वीट करके जानकारी दी कि हां भाई आ जाओ फिर से पोजीशंस ओपन हुई है यहां पर आप देखिए यूपीएससी के द्वारा निकाली गई इन सर्विसेस में में विज्ञप्ति ऐसे नहीं निकाली गई है इंटरेस्टिंग बात है यूपीएससी जब आईएएस का परीक्षा आयोजित करवाती है सीएसई की परीक्षा आयोजित कराती है तो कैसे बोलती है कि हमने 750 पदों पर वैकेंसी निकाली है जबकि व 750 जॉइंट रूप से बोले जाते हैं जॉइंट बोले जाते हैं से मतलब उसमें आईएएस आईपीएस आईआरएस सबको काउंट करके एक साथ बोल दिया जाता है 
  • कि हां भाई इतने पद हैं इन पर अप्लाई करिए इससे क्या होता है इससे OBS SC ST सबके पद उसके अकॉर्डिंग रिजर्वेशन में चले जाते हैं यहां 
  • दिमाग लगाया UPSC ने क्या दिमाग लगाया साहब यहां दिमाग यह लगाया कि यहां पर पद अनाउंस डिपार्टमेंट वाइज किए गए तो मतलब कैसे करने चाहिए थे अगर 45 पद अनाउंस किए जाते तो इसका इंपैक्ट अलग होता और अगर अलग-अलग डिपार्टमेंट के हिसाब से कर दिए तो इसका मीनिंग अलग है बोले क्यों आप तो अभी भी 45 ही बोल रहे हो मैंने कहा यही खेला है असली 

रिजर्वेशन की काट है यह लेटरल एंट्री (Lateral Entry) आप पूछेंगे वो कैसे अब बताता हूं 

देखो क्या है रिजर्वेशन में 13 पॉइंट रोस्टर लगता है 

13 पॉइंट रोस्टर क्या है

  •  एक आसान रूप में यह समझ लो एक लाइन में अगर मैं यह कहूं कि अगर किसी भी पद पर रिजर्वेशन देना है कम से कम 13 वैकेंसी होंगी तभी जाकर सभी कैटे 13.33 बोलते हैं 14वीं वैकेंसी पर जाकर के रिजर्वेशन से मतलब अगर कोई भी पद 13 पद निकलते 14 पद पकड़ के चलिए 13.33 होता है असल में तो इसलिए 13 बोल के चलते हैं 
  • लोग 13 पॉइंट रोस्टर की अगर किसी पद पर मान लीजिए कि आईएएस के 13 पद पर वैकेंसी निकले अगर वैकेंसी 13 पद पर निकले तब तो आप सभी कैटेगरी को उनकी जो प्रतिशत मात्रा है उस हिसाब से रिजर्वेशन दे सकते हो और अगर आप 13 पद नहीं निकाले तो आपको केवल और केवल तीन पद ही निकालने पड़े तो इसमें रिजर्वेशन देने की जरूरत ही नहीं पड़ती अब इसको मैं और आसान रूप में आपको समझाने का प्रयास करूं तो फिर से समझिए मैं अगर यह कह दूं कि यह 45 पद निकाले गए तब तो आपको इसमें SC ST OBC EWS सबका रिजर्वेशन देना पड़ता लेकिन अगर मैं यह कह दूं कि हां भाई 24 डिपार्टमेंट में 45 पद हैं हेल्थ मिनिस्ट्री के अंदर मान लीजिए दो हैं वित्त मंत्रालय के अंदर जो है वो तीन है स्वास्थ्य म वो क्या बोलते हैं शिक्षा मंत्रालय के अंदर एक है रक्षा मंत्रालय के अंदर एक एक है पर्यटन में एक है प्रदूषण में दो है कुछ भी मतलब जो जो विभाग है उस प्रकार से आपने रख दिए अगर आपने रख दिए तो आपको रिजर्वेशन देने की जरूरत ही नहीं पड़ी रिजर्वेशन देने की जरूरत नहीं पड़ी क्यों नहीं पड़ी क्योंकि रिजर्वेशन 
  • 13 से नीचे लागू ही नहीं होता कम से कम 13 मिलने चाहिए और 13 मिलने चाहिए और अगर केवल तीन ही निकालते हो तो वो तो अन रिजर्व कैटेगरी के होते हैं उसमें तो सभी अप्लाई कर सकते हैं और सभी अप्लाई कर सकते हैं तो जब इलेक्शन हुए थे वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव हुए थे तब अपोजिशन ने क्या बात उठाई थी अपोजिशन ने बात यह उठाई थी कि आरक्षण खत्म करने का प्रयास कर रही है 
  • भारत सरकार आरक्षण खत्म करने का मतलब कि भाई आईएस की परीक्षा में लोग आरक्षण की वजह से पहुंचते हैं मतलब बहुत से ऐसे समाज के तबके हैं जो आरक्षण का लाभ लेकर आईएस बनते हैं अब चूंकि आप उन पदों पर जिनमें पहुंचने में ही इतने साल लग रहे हैं उन पदों पर अगर पहले से ही लोग जाकर बिठा दोगे तो नीचे से जो प्रमोट होकर आदमी आ रहा है वह तो पहुंचेगा ही नहीं क्योंकि आपने तो पद भर दिए पहले ही तो क्या इसका मतलब यह ना निकाल लिया जाए कि आपने जानबूझकर ऊपर के पद भर दिए और उनको भरा उस तरीके से ताकि रिजर्वेशन उन पदों पर लागू ना हो और जब रिजर्वेशन लागू ना हो तो आपने उन पदों को भरकर नीचे से चले आ रहे जो रिजर्वेशन का लाभ लेने वाले लोग थे जो प्रमोशन से आ रहे थे उनका मौका भी छीन लिया इसलिए विपक्ष हमलावर उम्मीद है 
  • कि अब आपको यह सारी कहानी समझ में आ गई हो क्यों राहुल गांधी जी या फिर मतलब और तेजस्वी यादव या प्रियंका चतुर्वेदी सब इस बात को उठा रही हैं कि साहब यहां पर अगर 45 पद बोले जाते तो 22 से 23 अभ्यर्थी ऐसे होते जो दलित पिछड़ा और आदिवासी समाज से होते लेकिन यहां पर पदों को जिस प्रकार से दिया गया वह अलग प्रकार से दे दिया गया तो बोलो साहब यहां तक समझ में आई कहानी 

पहले यहां तक समझ में आई हो तब तो हम आगे चले 

अच्छा अब क्या है लेटरल एंट्री (Lateral Entry) क्या होती है 

  • इसके थोड़े से इतिहास को भी मैं आपको बताता हूं देखो क्या है वर्ष 2018 में भारत सरकार के द्वारा नरेंद्र मोदी जी के टेनोर में ही पहली बार लेटरल एंट्री से वैकेंसी की शुरुआत की गई थी सबसे पहले जॉइंट सेक्रेटरी लेवल पर 2018 में लेटरल एंट्री की व्यवस्था की गई थी उस समय एक पद के विरुद्ध 6077 एप्लीकेशन प्राप्त हुए थे ऐसा करते करते 201 19 में अलग-अलग मंत्रालयों में नौ नियुक्तियां हुई मतलब ऐसा मानकर चलिए कि यह जो आज आप सुन रहे हैं यह आज की बात नहीं है 2018 में हुआ 19 में हुआ 21 में हुआ 22 में हुआ अब तो आप 24 में सुन रहे हैं मतलब यह हुआ कि इसका मतलब यह है कि आज जो हम 45 वैकेंसी सुन रहे हैं यह आज की न्यूज़ नहीं है इससे पहले भी होता रहा है हां कब होता रहा है 2017 में नीति आयोग ने सरकार को सलाह दी थी कि सर कुछ ऐसा करिए कि लेटरल एंट्री (Lateral Entry) की जा सके लोगों को लाया जा सके अब आपके दिमाग में अब तक एक बड़ा प्रश्न बनना शुरू हो चुका होगा कि क्यों अल्टीमेटली लाने की जरूरत है जब हमको इतने सारे रोजगार के अवसर देने ही हैं तो प्रमोट करके लोगों को पहुंचाया जाए परीक्षा से लोगों को पहुंचाया जाए लेटरल एंट्री ही क्यों इसका आंसर भी मिलेगा फिलहाल आप इतिहास पर जानक ध्यान दें तो सरकार अभी तक 63 लोगों को इस जगह तक पहुंचा चुकी है 45 तो अब निकाले हैं इन तमाम प्रक्रियाओं के माध्यम से 2022 में 30 लोग एंट्री कर गए 21 में 31 कर गए 
  • 19 में नाइन कर गए 2018 में 10 कर गए इस प्रकार से अभी तक भारत सरकार ने 63 लोगों को इस पद पर पहुंचाया है किस पद पर अंडर सेक्रेटरी जॉइंट सेक्रेटरी डायरेक्टर लेवल के जो पद है वहां तक पहुंचाया हुआ है ठीक है अब आप पूछेंगे सर फिर तो किसी को भी पहुंचाया जा सकता है मतलब सरकार के मन में आई कि हां भाई फलाना सिंह हमारा बहुत ही अच्छा आदमी है लाओ भाई इसको अधिकारी बनाओ और अधिकारी बनाओ तो अधिकारी बनाने का कुछ तो तरीका होता होगा हां यह तो अच्छी बात है लेकिन अब इसमें यहां पर ध्यान देने की आवश्यकता है सरकार का जो तर्क है
  •  वह समझे और इसमें जो एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया है वह समझे वर्ष 2018 में उस व्यक्ति की उम्र 40 साल हो गई हो यह सरकार के द्वारा 18 में जानकारी दे दी गई थी सरकार के द्वारा 10 मतलब जब यह पोस्ट पहली बार निकाली गई थी तब क्या जानकारी रखी गई थी कि मिनिमम 40 साल का हो और यहां पर सरकार ने अपने लेवल पर जो क्वालीफिकेशंस की मांग की उन में था कि कोई भी अगर अधिकारी ऐसा है जो पहले से ही किसी राज्य सरकार में या फिर यूनियन टेरिटरी में काम कर रहा है इक्विवेलेंट लेवल पर वो भी इस पद पर आ सकता है मतलब ऐसा नहीं है कि सरकार ने जो 63 पद निकाले उन 63 पदों पर केवल और केवल प्राइवेट आदमी ही बैठेगा सरकारी आदमी भी आ सकता है हो सकता है कोई अन्य राज्य के अंदर कोई अधिकारी काम कर रहा हो तो आप पूछेंगे इसका मतलब क्या निकले इसका मतलब यह निकला कि जो 63 एंट्री अब तक भरी गई है ना इन 45 हटा दो जो पहले तक 2022 तक 63 भरी गई हैं उन 63 में 35 पद ही ऐसे हैं जो प्राइवेटली भरे गए हैं बाकी जो बचे हुए पद हैं वह सरकार ने अपने स्तर पर सरकारी लोगों से ही भरे हैं या वह किसी राज्य सरकार से आए हो या पीएसयू से आए हो उन्हीं से उन पदों को भरा गया है ठीक है अच्छा अब आपके दिमाग में प्रश्न बनने लगेगा और क्या क्राइटेरिया है तो सरकार के बहुत सारे क्राइटेरिया कोई व्यक्ति पीएसयू से संबंधित हो सकता प्राइवेट सेक्टर की कंपनी से हो सकता है जिसके पास अपने क्षेत्र का 15 साल से ऊपर का अनुभव हो साथ ही साथ में ऐसा व्यक्ति जो कि सरकार के साथ काम करे वह केवल इस पद पर न साल के लिए ही काम करें अब यहां पर यह बात बहुत ज्यादा जानने योग्य है जिसे आपको नहीं पता तब तक आप इस बात पर हो सकता है ज्यादा प्रतिक्रिया दें लेकिन अगर आप इस बात को जान जाए तो संभवतः आप इस बात का महत्व समझे कि यह क्या हुआ है मैं पहले ही समझा देता हूं महत्व तब इसकी योग्यता को समझाऊ देखिए वर्तमान के समय पर जब आप और हम तकनीकी के युग में जी रहे हैं लगातार नवाचार हो रहे हैं लगातार टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट हो रहे हैं एडवांसमेंट के टाइम पर सरकार का यह मानना है कि जो लोग अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ हैं उदाहरण के लिए समझते हैं आज भारत के अंदर नवाचार के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है जितनी भी प्रकार की फेक चीजें चल रही साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती बन रहा है स्वास्थ्य सेवाएं हो या रक्षा विशेषज्ञ हो इन सभी पर तकनीकी का बहुत बड़ा प्रभाव आ रहा है आज रक्षा क्षेत्र के अंदर साइबर वार फेयर की बात की जा रही है आज अंतरिक्ष के युद्ध की बात की जा रही है स्पेस वॉर की युद्ध की बात की जा रही है ऐसे में जो कन्वेंशनल अधिकारी तरीके से एंट्री करते हुए आते हैं सरकार का मत है कि जो लोग आज से 151 साल पहले सर्विसेस में आए थे उनकी एजुकेशन वहीं पर रुक गई उसके बाद तो वह विभागों में सरकारी दायित्वों का निर्वाहन कर रहे हैं ऐसे में एक दूसरा व्यक्ति है जो इतने ही साल अपने क्षेत्र में महारत हासिल किया है और ऐसा बहुत बार होता है अगर मान लीजिए कि कोई आईटी सेक्टर का व्यक्ति है जो कि आज भी अपनी कंपनी चला रहा है उसी क्षेत्र विशेष के अंदर और आईटी के अंदर वर्तमान में AI से रिलेटेड काम कर रहा है ड्रोन निर्माण से काम कर रहा है स्पेस सेक्टर में काम कर रहा है दवाइयों के अंदर नवाचार पर काम कर रहा है है ना जेनेटिकली मॉडिफाइड जो क्रॉप्स हैं उनमें काम कर रहा है बायो इंजीनियरिंग में काम कर रहा है ऐसे लोग जो विशेषज्ञ हैं प्रोफेसर हो सकते हैं ऐसे लोग जिन्होंने अपने क्षेत्र में काम किया अगर इन लोगों की विशेषज्ञता का लाभ सरकार के नीति निर्माण में हो जाए तो इसमें बुराई क्या है सरकार का मत यह है कि अगर हम इस काम को कर जाते हैं तो इससे बड़ा लाभ हमें नीति निर्माण में एक एक्सपर्ट व्यक्ति के आने पर मिलता है तर्क तो यह है तो यह इसी सरकार का मत है कि इससे पहले भी कोई मत हो चुके हैं असल में भारत के अंदर प्रशासनिक सुधारों को लेकर के एआरसी का गठन किया जाता रहा है एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के लिए कमेटी बनती रही हैं जो सेकंड एआरसी थी जो 2005 में अपनी रिकमेंडेशन दी थी मोहिली जी के ने विरप्पा मोहिली जी के नेतृत्व में उसने इस बात को रिकमेंड किया था कि भारतीय सेवाओं में लेटरल एंट्री (Lateral Entry) होनी चाहिए और विरप्पा मोहिली जी कांग्रेस से संबंधित थे और उस समय पर जब यह अपनी बात बोलकर गए थे उस समय कांग्रेस का ही शासन था मतलब UPSC का शासन था कहने का मतलब यह समझिए कि आज जो लेटरल एंट्री (Lateral Entry) हो रही है यह एआरसी की रिकमेंडेशंस पर हो रही हैं ऐसा भारत सरकार का कहना है कि हम कुछ नया नहीं कर रहे हम तो वही कर रहे हैं जो कांग्रेस कह कर गई थी कांग्रेस कहती है कि मनरेगा हमारा है कांग्रेस कहती है कि हमने इतनी सारी योजनाएं जो बना दी हमने IIT बना दिए IIA एम्स बना दिए यह सब हमारे हैं तो भाई यह भी बता दें कि लेटरल एंट्री (Lateral Entry) भी कांग्रेस की ही है 
  • इन्होंने ही सबसे पहले रिकमेंड किया था कि ऐसा होना चाहिए जब इनके रिकमेंडेशंस पर हम मनरेगा आगे ला सकते हैं इनके रिकमेंडेशंस पर हम IIT नई बना सकते हैं आईआईएम नए खोल सकते हैं तो इन्हीं के रिकमेंडेशंस पर हम लेटरल एंट्री (Lateral Entry) लेकर आ गए इसमें बराई बुराई क्या है सरकार इस बात को इस तरह से अपोजिशन पर डाल रही है 
  • और अपोजिशन पर डालते डालते राहुल गांधी जी के कुछ 2019 के ट्वीट भी खंगाल दिए जा रहे हैं जिसमें यह कहा जा रहा है कि राहुल गांधी जी तो खुद लेटरल एंट्री के समर्थन में एक बार थे कि कुछ जो सेना के पूर्व जवान है उनको भी लेटरल एंट्री (Lateral Entry) से एंट्री करानी चाहिए सोशल मीडिया पर इस समय वह भी बहुत तैर रहा है कहने का मतलब यह है कि सरकार का जो उद्देश्य है एआरसी के उद्देश्य से प्रेरित है
  •  और एआरसी एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के लिए बनाया हुआ समिति था एआरसी वन था पहले उसके बाद एआरसी टू आया जो एआरसी टू आया उसने इस बात के ऊपर ध्यान दिया था कि लेटरल एंट्री होनी चाहिए उसी के रिकमेंडेशंस को मांगते हुए हम लोग तो यह कर रहे हैं दूसरा जो इंपॉर्टेंट पॉइंट है आपको जो यहां जानना व यह है कि यहां आया हुआ जो व्यक्ति है वह इस पद पर केवल 9 साल तक ही रह सकता है मतलब यह समझने की आवश्यकता है कि जिस बात पर इतना हंगामा जो बरपा हुआ है इसमें जॉइंट सेक्रेटरी लेवल पर आया हुआ व्यक्ति हमेशा जॉइंट सेक्रेटरी ही रहेगा 
  • नंबर एक और केवल न साल ही रहेगा सरकार चाहे तो उसे 5 साल तक रख सकती है उसके बाद उसे सर्विसेस से हटना पड़ेगा इसका म मतलब यह हुआ कि जॉइंट सेक्रेटरी लेवल पर आया हुआ व्यक्ति अगर तीन से 5 साल ही रहेगा तो फिर बड़ा प्रश्न खड़ा होता है कि जब इतने ही समय के लिए व्यक्ति आ रहा है तो इसमें रिजर्वेशन कैसे दें सरकार का तर्क सुनिए सरकार का तर्क यह है कि जब भी कोई आईएएस अधिकारी किसी दूसरे विभाग में लगता है उदाहरण के लिए आज आईएएस का जो सही से काम माना जाता है वह क्या है प्रशासन का काम करेंगे प्रशासन के अंदर कार्य करते-करते प्रशासनिक व्यवस्था को बनाने में नीति निर्माण में सरकार की सहायता करेंगे यह तो आईएएस का असल काम है लेकिन कई बार आपने देखा होगा कि आईएएस की पोस्टिंग हो जाती है शिक्षा विभाग में स्वास्थ्य विभाग में आईस की पोस्टिंग हो जाती है राजस्व विभाग में आईएस की पोस्टिंग हो जाती है रक्षा मंत्रालय में आईएएस की पोस्टिंग हो जाती है रेल मंत्रालय में आईएएस की पोस्टिंग हो जाती है नहर मंत्रालय में पर्यटन मंत्रालय में जहां पर उसी क्षेत्र के एक्सपर्ट्स की आवश्यकता थी वहां पर भी आईएएस को पोस्ट कर दिया जाता है तो सवाल कहती है सरकार कि जब इस प्रकार से किसी को उस पद पर भेजा जाता है तो क्या हम वहां पर भी रिजर्वेशन देते हैं क्या कि साहब फलाने सिंह को इस जगह पर भेजने के लिए रिजर्वेशन की आवश्यकता है नहीं विभाग में लगे थे तो विभाग के लिए तो आप लग सकते हैं उसमें तो रिजर्वेशन की व्यवस्था है ही नहीं सरकार का भी यही कहना है कि बोले जो हम जॉइंट सेक्रेटरी लेवल पर लोग ला रहे हैं वो आवश्यकता के हिसाब से ला रहे हैं आवश्यकता से मतलब हम ला इस हिसाब से रहे हैं कि अगर कोई व्यक्ति स्वास्थ्य मंत्रालय में विशेषज्ञता रखता है तो फिर वो स्वास्थ्य में अप्लाई करे पता चले 45 पर हमने भर्ती निकाली जॉइंट 45 कर दी 45 में भर्ती निकाली अब उसमें आवेदन किया किसी ऐसे आदमी ने जिसके पास में आईटी सेक्टर का अनुभव है या ड्रोन उड़ाने का अनुभव है या बायो इंजीनियरिंग का अनुभव है 45 में उसने आवेदन किया सेलेक्ट हो भी गया आपने वहां पर मेरीटोक्रेसी लगा दी कि नहीं साहब टॉपर्स जाएंगे वित्त मंत्रालय में उसके बाद वाले जाएंगे स्वास्थ्य में उसके बाद वाले जाएंगे पर्यटन में इस प्रकार से आपने मेरीटोक्रेसी लगा दी अब विचार कीजिए जिसका अनुभव था में हो सकता है कि वह टूरिजम में आ जाए क्योंकि ऐसा ही होता है आईएस के द्वारा जब चयन किया जाता है यूपीएससी परीक्षा में जब आयोजन किया जाता है तो क्या होता है बहुत सारे इंजीनियर्स ऐसी सर्विसेस में चले जाते हैं जहा इंजीनियर्स की आवश्यकता ही नहीं है होता ही है बहुत सारे नॉन टेक्निकल बैकग्राउंड के लोग टेक्निकल चीजों में चले जाते हैं कॉमर्स वाले लोग जहां इनकी आईआरएस में बढ़िया आवश्यकता है वो आईएस पर चले जाते हैं स जब परीक्षा के अंदर सभी के लिए एक क्राइटेरिया रख दिया तो आपने उनके नॉलेज का कहां उपयोग किया जब नॉलेज का उपयोग नहीं किया तो इन 45 पर एक साथ भर्ती कैसे निकाल दें सरकार का तर्क यह है कि जब हमें आवश्यकता डिपार्टमेंट वाइज व्यक्ति की है 45 पद होते तो रिजर्वेशन का लाभ मिलता यह तो समझ में आया लेकिन 45 पद होते रिजर्वेशन का लाभ मिलता तो यह भी तो होता कि 45 की परीक्षा आयोजित होती और परीक्षा नहीं तो डायरेक्ट इंटरव्यू आयोजित होते और डायरेक्ट इंटरव्यू आ अगर आयोजित होते उसमें व्यक्ति जो चयनित होकर आता वो कौन से एक्सपर्टाइज्ड कैसे सुनिश्चित करोगे तो टेक्निकली आपको फिर से यही तो करना पड़ेगा कि अगर मैंने इस वाले फील्ड के व्यक्ति को लिया तो वह इसी फील्ड में जाएगा तो जब मैं पहले से ही डिसाइड करके चलूंगा तो फिर मुझे यह करना पड़ेगा कि स्वास्थ्य मंत्रालय में वैकेंसी निकली है तो स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्य वाले ही आवेदन करें जिनको स्वास्थ्य फील्ड में ही 15 साल से ऊपर का अनुभव है जिन्होंने इसी में कुछ महारत हासिल की है वो आएं यह सरकार का तर्क है मैंने आपको दोनों के तर्क दे दिए देखो अपोजिशन का जो तर्क है वो आरक्षण के ऊपर है वो चाहते क्या हैं कि सरकार इनका 45 की 45 का परीक्षा आयोजित कराती तो 22 लोग ऐसे भी होते जो कि टॉप पदों पर जाते यह तो किसका मत हो गया सर अपोजिशन का मत हो गया सरकार का मत क्या है सरकार कह रही है कि भाई ठीक है मान लिया आपकी तरह से हम इस काम को कर देते तो मुझे यह बताओ कि इन 45 पदों में अगर मैं इस परीक्षा को आयोजित करवा देते इंटरव्यू चलो एक बार में 45 के लिए निकाल दिए आपके 22 ओबीसी एससी एसटी के लिए निकाल दिए ये हो गया उसके बाद में जो सेलेक्ट होकर आए उनकी एक्सपर्टाइज्ड एंट्री लाई ही इसलिए गई है ताकि वर्तमान के इस चैलेंजिंग टाइम में जब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का टाइम है तमाम प्रकार की बीमारियां फैल रही हैं कोरोना ने पूरे जीवन को धकेल दिया पीछे ऐसे में नीति निर्माण के लिए अगर उस स्तर पर जहां पर सरकार को दिमाग वाले लोग चाहिए वहां पर अगर कोई आदमी आकर बैठ जाए तो इसमें बुराई क्या है और वो व्यक्ति आभी 3 साल के लिए रहा है कौन सा परमानेंट आ रहा है हम तो सुविधाओं के लिए उस व्यक्ति को ले रहे हैं कि वह अपनी विशेषज्ञता हमें दे और 3 साल बाद वापस चला जाए और जरूरत पड़ गई तो 5 साल तक रह ले फिर चला जाए तो बोले फिर इस बात में क्या दिक्कत है दोनों ही तरह से दोनों बातें सही लगती हैं अब आपके दिमाग में प्रश्न बनने लगेंगे कि इसका बेहतर ऑप्शन क्या हो सकता था एक ऑप्शन तो जो सबके दिमाग में आता है वो यही है कि सर यूपीएससी के अंदर जो लोग चयनित होकर जाते हैं बहुत सारे आईआईटीएस डॉक्टर सीएस और बहुत सारे अच्छे अकेडमी अकेडमी शंस भी होते हैं जो आईएएस की परीक्षा पास करते हैं क्यों नहीं सरकार उन्हीं को उनकी विशेषज्ञता के आधार पर इन डिपार्टमेंट्स में लाए ऐसा होता भी है ऑलरेडी ऐसे पदों पर बैठे हुए लोग सामान्यतः ध्यान रखा जाता है कि स्वास्थ्य विभाग में अगर कोई व्यक्ति बैकग्राउंड में डॉक्टर रहा है तो उसे अपॉइंट्स वर्धन को डॉक्टर थे तो उठा कर के डॉक्टर स्वास्थ्य मंत्रालय दिया गया था है ना डॉक्टर मनसुख मांडवीया डॉक्टर साहब हैं तो चलो विभाग के अंदर मंत्री बना दिया ऐसे ही सेक्रेटरी लेवल पर भी ये प्रयास चलता रहता है लेकिन नए टैलेंट पूल को अंदर एंट्री देकर के आधुनिकता को भी अंदर एंट्री दे दी जाए तो इसमें बुराई नहीं है लेकिन अपोजिशन क्या कह रहा है अपोजिशन का कहना है कि सरकार इस माध्यम से अपनी विचारधारा विशेष रूप से जो आरएसएस के जो लोग हैं उन लोगों को उठाकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोगों को लेकर संघ लोक सेवा आयोग में पदों पर लोगों को बिठाया जा रहा है और यह आरक्षण खत्म करने की एक कवायत है आरक्षण कैसे खत्म हो जाएगा खत्म इस तरह से क्योंकि हम तो पहले ही कहते हैं कि टॉप मोस्ट लेवल पर ऑलरेडी 90 से % तो अनरिजर्व्ड कैटेगरी से लोग हैं इस पर सरकार का तर्क क्या है सरकार का तर्क यह है कि जो लोग हमने जो पद हमने सबके लिए ओपन कर दिए उसमें आप यह कैसे कंक्लूजन कैटेगरी का व्यक्ति पहुंच नहीं पाएगा इसका मतलब तो आप यह मान रहे हो कि रिजर्व कैटेगरी के व्यक्ति के पास में वो योग्यता ही नहीं है कि वह यहां तक पहुंच पाए आप यह क्यों नहीं मान रहे कि यह वैसे पद हैं जिन पदों पर रिजर्व कैटेगरी का व्यक्ति भी पहुंच सकता है यानी कि इसमें यह थोड़ी है कि एक्सक्लूसिवली फॉर जनरल कास्ट या फिर एक्सक्लूसिवली फॉर पर्टिकुलर कास्ट ऐसा तो नहीं रखा इसको रखा इस तरह से गया है कि ये अनरिजर्व्ड है इसमें कोई भी अप्लाई कर सकता है अगर अप्लाई करने में जॉइंट सेक्रेटरी की योग्यता या अंडर सेक्रेटरी की योग्यता या डायरेक्टर की योग्यता कोई भी कैटेगरी का व्यक्ति रखता है तो वो तो अप्लाई कर सकता है तो बोले विपक्ष का यह आरोप लगना कि ये एक तरह से आरक्षण को खत्म करने जैसा है तो क्या हम यह ना मान ले कि विपक्ष यह मानता ही है कि जो आरक्षण का लाभ लेने वाले लोग हैं उनमें योग्यता का कमी है या उनमें योग्यता का अभाव है सरकार ने तो सबके लिए ओपन किया है आप उन्हें इस नजरिए से क्यों देख रहे हैं तो इस पे पक्ष विपक्ष प्रॉपर तरीके से चल रहा है ठीक है उम्मीद है कि आप लोगों को यह बात समझ में आ गई हो यह जॉइंट सेक्रेटरी के लिए रखा गया है 15 साल का वर्क एक्सपीरियंस होना चाहिए टेक्नोलॉजी के अंदर है ना और न्यू इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज के अंदर पब्लिक पॉलिसी के अंदर कम से कम 10 साल की लीडरशिप रोल होना चाहिए डायरेक्टर और अंडर सेक्रेटरी के लिए रखा गया है जैसे डायरेक्टर लेवल के लिए जो पोस्ट रखी गई है एजुकेशनल एमएससी इन सॉइल कंजर्वेशन वाटर मैनेजमेंट एनवायरमेंट साइंस बैचलर डिग्री इन एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग फ्रॉम रिकॉग्नाइज्ड यूनिवर्सिटी और इंस्टिट्यूट 10 साल का अनुभव डेप्युटी सेक्रेटर के लिए रखा है एमएससी इन सोइल कंजर्वेशन ये एक्स एग्जीक्यूट एक्सक्लूसिव तरीके से इन्होंने डिजायर पोस्टिंग रखी है आप यहां पर देख सकते हैं जैसे कि डेप्युटी सेक्रेटरी डायरेक्टर के लिए एक पद की पोस्टिंग निकाली है वन पोस्ट निकाली गई है क्लाइमेट चेंज एंड सोइल कंजर्वेशन के लिए तो यहां पर सरकार ने अपनी तरफ से डिपार्टमेंट में ही जानकारी क्या रखी है कि भैया एमएससी होना चाहिए सोइल कंजर्वेशन के अंदर तभी जाकर के आप इस पे अप्लाई कर पाओगे 10 साल का कम से कम अनुभव ऐसे ही सरकार ने हर जगह पर डिजायर कर दी है एलिजिबिलिटी रख दी है कि कम से कम उस छ क्षेत्र का आपको नॉलेज होना चाहिए ठीक है साहब तो मैंने आप लोगों को यह बात बता दी 63 का नंबर बता दिया ये सारी जानकारी मैंने आपको बता दी 63 अपॉइंटमेंट अब तक हो चुके हैं यूपीएससी द्वारा भारत के अंदर अखिल भारतीय सेवा परीक्षाओं का आयोजन कराया जाता है भाग 14 के अंदर 315 से 323 के लेकर के इसकी व्यवस्था की गई है जिसके अंदर सिविल सर्विसेस एग्जामिनेशन आयोजित करवा जाता है यूपीएससी द्वारा बहुत सारे एग्जाम्स किए जाते हैं उनमें से हमने जो चर्चा की है वो सीएससी एग्जाम की की है जो कि मल्टीलेवल परीक्षा है और मल्टीलेवल परीक्षा में भी मेरिट के आधार पर लोगों को आईएएस मिलता है लेकिन यूपीएससी के द्वारा आयोजित की गई इन परीक्षाओं में जो व्यक्ति आईएस बनकर आता है वो इस स्केल पर जाता है उनमें से लगभग 9 से 12 साल के इस अनुभव के बाद जो व्यक्ति जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव रैंक में डायरेक्टर रैंक पर आता है उस पर सरकार के द्वारा लेटरल एंट्री निकाली गई है वर्तमान में अगर यूपीएससी के अंदर रिजर्वेशन कोटा की बात की जाए तो एससी के लिए 15 पर एसटी के लिए 7.5 पर और 25 पर ओबीसी के लिए ईडब्ल्यूएस के लिए 10 पर है और पर्सनल विद द बेंचमार्क डिसेबिलिटी 4 पर रखा गया है ठीक है साहब तो लेटरल एंट्री का राहुल गांधी जी के द्वारा अपनी तरफ से विरोध किया गया इन्होंने अपनी तरफ से पॉइंट बताए जो जिसके पॉइंट थे मैंने आपको वो सारे के सारे समझा दिए हैं सरकार का भी तर्क दे दिया सरकार इसमें केवल यही कह रही है हम तो आप ही की बात मान रहे हैं क्योंकि कांग्रेस के द्वारा ही विरप्पा मोहिली जी के नेतृत्व में जो सेकंड एआरसी बनाई थी उसके समय पर हमने उनके त जो रिकमेंडेशंस थी उनको माना है इस पर कांग्रेस का कहना यह है कि जब एआरसी के रिकमेंडेशन मोहिली जी ने दी थी हमने तो नहीं मानी थी हमारी जब सरकार आई हम तो लेटरल एंट्री नहीं लेकर आए आप ही क्यों लेकर आए तो फिर सरकार की तरफ से कहना है ऐसी तो बहुत सारी चीजें हैं जो एआरसी ने कही थी या और आपके आपके शासनकाल में डिसाइड हुई थी लेकिन आपने नहीं की वो बाद में हमने की उन पर भी तो आप क्लेम करने आ जाते हैं कि यह काम हमारा ही किया हुआ है तो इस पे पक्ष विपक्ष अपनी तरफ से चल रहे हैं ठीक है साहब इस पर राहुल गांधी जी का 2019 का एक ट्वीट है जो काफी वायरल हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि ओवर एक्स सर्विसमैन आर इंडियाज प्राइड एंड मस्ट बी गिवन द रेस्पेक्ट दे डिजर्व वी विल अलाउ क्वालिफाइड एक्स सर्विसमैन लेटरल एंट्री इन टू द सिविल सर्विसेस ये इन्होंने 2019 में कहा था तो जब इन्होंने 2019 में कहा तो इनसे लोग कह रहे हैं कि आपने उस समय भी यह बात बोली थी लेटर एंट्री के समर्थन में अब अचानक क्या हुआ अब अचानक कहीं यह तो नहीं कि आप जो आरक्षण की मांग लेकर चल रहे हैं कि संविधान संकट में है जो चुनाव प्रचार में आप लेकर नैरेटिव चले थे आप उसी नैरेटिव को फिर से साउंड करने के लिए कि देखो सरकार आरक्षण खत्म करना चाहती है ठीक है तो आप उसके लिए लेकर आ रहे हैं तो लोग इस तरह से इनको यहां पर ले रहे हैं ठीक है साहब यह सारी जानकारी मैं अब आप लोगों को प्रॉपर दे चुका हूं एआरसी दो बार आया है फर्स्ट एआरसी 1966 के अंदर आया था तब मोरार जी देसाई के नेतृत्व में था उनके द्वारा रिकमेंडेशन दी गई थी और सेकंड ए आरसी 2005 में आया था विरप्पा मोहिली जी के नेतृत्व में आया था ठीक है तो मैंने ये बता दिया हां रिजर्वेशन के अंदर जो लेटरल एंट्री है ना इस लेटरल एंट्री में मैंने 13 रोस्टर पॉइंट की बात आपको समझा दी है जिसमें मैंने आपको बताया कि अगर इस तरह से 13 पद होंगे तो तीन पद अनरिजर्व्ड कैटेगरी के पास होंगे चौथा पद ओबीसी के पास होगा सातवां पद एससी के पास होगा आठवां ओबीसी के पास 10वां ईडब्ल्यूएस के पास इस तरह से पदों का बंटवारा होगा यह रोस्टर प्रणाली है मतलब हर सातवां पद एससी हर 14वां पद एसटी इस प्रकार से पदों का वितरण होगा रोस्टर सिस्टम में कहा जाता है कि अगर वाकई में रिजर्वेशन का लाभ लेना है तो कम से कम उस जगह पर 13 वैकेंसी होनी चाहिए तब जाकर के अ रिजर्वेशन का लाभ सभी कैटेगरी को मिलता है इसी वजह से इस पर सारा की सारा मामला फंसा हुआ है ठीक है ना क्योंकि यहां पर पद के हिसाब से इकट्ठी वैकेंसी 45 नहीं निकाली गई इसमें डिपार्टमेंट वाइज निकाली गई तो यहां पर आरक्षण अनरिजर्व्ड कैटेगरी की वजह से किसी को नहीं मिला इसलिए ये ओपन सीट कहलाई और ओपन सीट पर सरकार ने आवेदन मांग लिए यानी कि यहां पर अगर इस रोस्टर प्रणाली को ना लगाया हुआ होता तो संभव है कि सरकार को कम से कम 22 2 ऐसे लोगों को रिजर्वेशन का लाभ ऐसे लोगों को एंट्री देनी पड़ती जो रिजर्व कैटेगरी से आते लेकिन विपक्ष का कहना है कि आपने चूंकि डिपार्टमेंट वाइज निकाल दी इसलिए यह सारी दिक्कतें हो रही हैं यह कुछ पुराने लोग हैं जो कि अब तक नियुक्त हुए हैं जिनके नाम आपके सामने हैं इन्हें भी आप देख सकते हैं कौन-कौन किस मंत्रालय के अंदर लगे हुए हैं फिर एक बड़ा सवाल बनता है कि सर इसके पक्ष में क्या प्रमाण है मतलब लेटरल एंट्री अगर सिविल सर्विसेस में होती है तो इसके फायदे क्या-क्या हो सकते हैं तो देखिए पहला फायदा है कि स्किल और एक्सपर्टाइज्ड के भी हो सकते हैं ऐसे ही वर्क कल्चर में कुछ नया चेंज आता है नया चेंज कैसे आता है जो प्राइवेट सेक्टर में लोग काम करने वाले हैं वो बेहतर अकाउंटेबिलिटी के साथ काम करते हैं यह जनरली क्लेम किया जाता है जब अ प्राइवेट वर्सेस सरकारी की लड़ाई रही होती है कि साहब सरकारी वालों को तो काम से कोई मतलब ही नहीं होता है ऐसे ही तीसरा पार्टिसिपेटरी गवर्नेंस बनकर आती है कि मतलब यह ना कहा जाए कि गवर्नमेंट सर्विसेस में आ गए वही गवर्नमेंट के फैसले लेंगे नहीं हर सेक्टर में जो अच्छा काम कर रहा है उसे लगता है कि राष्ट्र निर्माण में उसका कोई महत्व हो सकता है तो वो अपनी तरफ से एंट्री करता है तो पार्टिसिपेटरी गवर्नेंस का फायदा मिलता है वही इसके अगेंस्ट में आर्गुमेंट दिया जाता है कि टेनर इतना कम है कि कोई आदमी काम समझेगा मतलब एक प्रकार से समझिए कि ये अग्निपथ की तरह से हो गया अग्निवीर बना दिया इनको जॉइंट सेक्रेटरी जॉइंट सेक्रेटरी अग्निवीर है बोले क्यों बोले स साहब वो भी तो तीन से 5 साल के लिए आ रहा है अग्निवीर की तरह जैसे 4 साल के लिए आ रहा है तो इतने साल में वो क्या कर जाएगा काम समझेगा इतने दिन में उसका समय पूरा हो जाएगा तो बोले एक तो आर्गुमेंट ये है दूसरा यहां पर न्यूट्रलिज्म करके आते हैं इनको तो समझने में ही टाइम लग जाता है और आपस में एक दूसरे के कंफ्लेक्स 3 साल के लिए आए हो चले जाओगे फालतू में दिमाग मत लगाओ आपस में एक दूसरे को अकोमोडेटिव के मोराल पर ये ने असर डालता है जो परमानेंट ऑफिसर्स हैं वो कहते हैं हम तो इतनी मेहनत करके यूपीएससी की परीक्षा पास करके टॉप करते करते यहां पहुंचे यह महाशय अपने जिंदगी भर बढ़िया पैसा कमाए जब इनको लगा ज्ञान देने की आवश्यकता है तो सरकार ने इनको एंट्री करा लिया तो हमने इतने दिन तक इतना पैसा छोड़ा यह बढ़िया प्राइवेट कंपनी में बढ़िया पैसा कमाए सरकार ने बुलाया तो खट से अंदर चले आए इस बात पर उनका मोराल डाउन हो सकता है ठीक है तो अपने आप में इस प्रकार से मेरिट बेस्ड रिक्रूटमेंट का ये डाइल्यूशन भी करता है तो इस वजह से अच्छा तो यह सारी की सारी बातें मैंने आपको य बता दी इस विषय पर सरकार के अंदर सरकार के जो सहायक हैं चिराग पासवान जी उन्होंने साफ-साफ कहा है इन्होंने कहा है कि हम चाहते हैं कि आरक्षण के प्रावधानों का ध्यान रखा जाना चाहिए

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